मेरा राष्ट्र प्रथम की भावना के साथ राष्ट्रवाद देश की एक बहुआयामी विचारधारा है | जिससे देश की आन - बान - शान, जैसे – साम्प्रदायिक एकता , सम्प्रभुता , भाषा , धर्म , संस्कृति , रीती - रिवाज़ , वेशभूषा, त्यौहार , समारोह, मेले , सामाजिक सेवा आदि का रक्षण एवं संरक्षण करना है |
वन्देमातरम
आज मै यहाँ सिर्फ आप लोगों के योगदान और समर्थन के लिए हूँ | मै भारत का युवा (चाहे जो उम्र हो) हूँ वो युवा जो जागरूक है जो जानता है उसे किस दिशा में और क्यों बढ़ना है | मै भारत की वो शक्ति हूँ जिससे पूरी दुनिया में क्रांति आ सकती है | मै दिल से युवा हूँ और अपने सभी साथियो को खुद में ही निर्णायक बनते देखना चाहता हूँ |
वन्देमातरम
भारत देश को आजादी के 72 वर्षो में एक उपलब्धि मिली है। कि आज वर्तमान में हर दुसरा आदमी परेशान हैं क्यों ? सभी राजनैतिक पार्टीयो के द्वारा किये गए कार्यों से आज "देश का युवा इस चिंता में डुबा हुआ है की "99 लिखने के लिए कौन सा 9 पहले लिखुँ ?
हमारे यहां अनेकों तरह के दान किए जाते रहे हैं। जैसे - कन्यादान ,गोदान ,नेत्रदान , रक्तदान , इत्यादि। लेकिन आज सोशल मीडिया पर निःशुल्क व खतरनाक तरीके से जो ज्ञान दिया जा रहा हैं। इसे "ज्ञानदान "कहते हैं। यह निःशुल्क व स्वार्थरूपेण भावना से दिया जाने वाला "ज्ञानदान " दिन -ब -दिन बढ़ता चला जा रहा हैं। इस ज्ञान -दान में जात -पात ,छुआछुत ,हिन्दू -मुस्लिम ,मंदिर -मस्जिद , धर्म की लड़ाई आदि से युवाओ का ध्यान आकर्षित किया जा रहा हैं। मुझे यह जानकर बहुत आश्चर्य होता हैं कि ये "ज्ञानदाता"इस तरह की भावना लाते कहा से हैं ?
मेरे प्रिय भारतीय भाइयो और बहनों,
वन्देमातरम
मैं मेरी बात कवि के द्वारा कही इन पंक्तियों से शुरू करूँगा:
बाद मुद्दत के मिले हैं दिवाने, कहने सुनने को बहुत हैं अफसाने.
खुली हवा में जरा सांस तो ले लें, कब तक रहेगी आजादी कौन जाने.
वन्देमातरम
आज मै यहाँ सिर्फ आप लोगों के योगदान और समर्थन के लिए हूँ | मै भारत का युवा (चाहे जो उम्र हो) हूँ वो युवा जो जागरूक है जो जानता है उसे किस दिशा में और क्यों बढ़ना है | मै भारत की वो शक्ति हूँ जिससे पूरी दुनिया में क्रांति आ सकती है | मै दिल से युवा हूँ और अपने सभी साथियो को खुद में ही निर्णायक बनते देखना चाहता हूँ |
मै आपको सही / गलत नहीं बताऊंगा बल्कि सही / गलत तो आप निश्चित करेंगे यहाँ सिर्फ सच से आपका सामना होगा उसके बाद आप खुद फैसला कीजिये आपको क्या चुनना है | आज जिस युवा की बात यहाँ हो रही है उसमे कुछ गिने चुने लोग ही है | शायद जो आगे आने को तैयार है जो इस देश की बागडोर को अपने हाथो में लेने को तैयार है अधिकतर युवाओं ने तो अपनी जिंदगी को दोस्तों , इंटरनेट और भविष्य के बीच समेट लिया है | जब उनसे पूछा जाए तो वो कहते है हमें क्या मतलब है , हम क्यूँ बीच में पड़े , ये हमारा मामला तो नहीं है | मै देश का नागरिक होने के नाते जानना चाहूँगा कि क्या सच में ये हमारा मामला नहीं है मेरा जवाब होगा , नहीं , ये हमारा मामला ही है ,आये दिन देश में इतने घोटाले होते है | तो क्या वो सच में हमारा मामला नहीं ,वो पैसा जिसका गबन किया जाता है जो हमी लोगो का है इस देश को एक कुटुंब माना जाना चाहिए और इस नाते वो हमारे ही परिवार के सदस्य है जो आहत हुए या हो रहे है,पर इसके खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया |
क्यूँ आज का युवा शांत है ,क्यूँ वो अपना देश छोड़कर विदेशो में बड़ी कम्पनियों में काम करना चाहता है क्यूँ वो अपना समर्पण अपने देश के लिए नहीं दिखा रहा मुझे इन सब बातों जवाब चाहिये क्या आपको नहीं लगता कि देश की इस हालत के जिम्मेदार हम खुद है | हम ही दूसरों को वो मौका दे रहे है जिससे हमें तकलीफें उठानी पड़ती है | आप में से 90 % लोग एक व्यवस्थित जीवन चाहते है जिसकी परिभाषा आपकी नज़रों में एक अच्छे वेतन वाली नौकरी , घर , पैसा , पाश्चात्य जीवन ,मित्र , इंटरनेट आदि है |
हमें इन सब से बाहर भी सोचना होगा अपने जीवन के 24 घंटो में से कुछ घंटे देश के लिए भी देना होगा | आप ही तो है वो जो क्रांति ला सकते है अगर आप अपने व्यवस्थित जीवन का कुछ हिस्सा इस देश को भी मान ले तो वो दिन दूर नहीं जब चीन जैसा तकनीकी देश डरने लगेगा ," अमेरिका बराक ओबामा के शब्द है - इंडिया से डरो " , क्यूँ वो ऐसा कहने पर मजबूर हुये | जरा सोचिये !!!!!
क्यूँकि वो जान गये है कि भारतीयों में शासन करने की शक्ति है | तो आइये आप हम सब मिलकर बदलेंगे भारत की तस्वीर भी - तकदीर भी |
वन्देमातरम साथियों
आपका स्वागत है |
संगठित रहे - सुरक्षित रहे |
वन्देमातरम
भारत देश को आजादी के 72 वर्षो में एक उपलब्धि मिली है। कि आज वर्तमान में हर दुसरा आदमी परेशान हैं क्यों ? सभी राजनैतिक पार्टीयो के द्वारा किये गए कार्यों से आज "देश का युवा इस चिंता में डुबा हुआ है की "99 लिखने के लिए कौन सा 9 पहले लिखुँ ?
हमारे यहां अनेकों तरह के दान किए जाते रहे हैं। जैसे - कन्यादान ,गोदान ,नेत्रदान , रक्तदान , इत्यादि। लेकिन आज सोशल मीडिया पर निःशुल्क व खतरनाक तरीके से जो ज्ञान दिया जा रहा हैं। इसे "ज्ञानदान "कहते हैं। यह निःशुल्क व स्वार्थरूपेण भावना से दिया जाने वाला "ज्ञानदान " दिन -ब -दिन बढ़ता चला जा रहा हैं। इस ज्ञान -दान में जात -पात ,छुआछुत ,हिन्दू -मुस्लिम ,मंदिर -मस्जिद , धर्म की लड़ाई आदि से युवाओ का ध्यान आकर्षित किया जा रहा हैं। मुझे यह जानकर बहुत आश्चर्य होता हैं कि ये "ज्ञानदाता"इस तरह की भावना लाते कहा से हैं ?
यह चिंता का विषय है। साथ ही देश को हिन्दुत्व व राष्ट्रवाद की चादर ओढाई जा रहीं है। ताकि देश का युवा शिक्षित ना हो सके , रोजगार प्राप्त न करें , देश के विकास में सहयोग ना करे। मेरा मानना है कि अगर देश का युवा शिक्षित हो जाता है तो राष्ट्रवाद व हिन्दुत्व की चादर को उठाकर देश को विकासशील की श्रेणी से उठाकर विकसित श्रेणी में खड़ा कर देगा।
आज बात करे मध्यम वर्ग की तो :- देश में मध्यम वर्ग के परिवारों की संख्या ज्यादा है। लेकिन सरकार इस वर्ग को किसी भी तरह की योजनाओं का लाभ नहीं दे रही हैं सरकार या तो पूर्णतः गरीब /किसान या बेहद अमीरों का कर्जा माफ कर देती हैं। मध्यम वर्ग जीवनयापन की किश्ते चुकाता-चुकाता थक जाता हैं।
आज बात करे मीडिया की तो :- सभी मीडिया /चैनल देश के विकास, भ्रष्ट्राचार ,घोटालों ,बेरोजगारी , शिक्षा ,महिला - सुरक्षा ,पर्यावरण -प्रदुषण इत्यादि पर कभी वाद -विवाद कार्यक्रम नहीं करते है इनसे इनकी TRP घटती है। इसलिए मीडिया बीजेपी -कांग्रेस ,पाकिस्तान ,राष्ट्रवाद मुद्दे , मंदिर -मस्जिद आदि विषयों पर ही चर्चा में लगी रहती हैं। क्योंकि इससे मीडिया को केवल और केवल अपनी TRP बढ़ानी होती है। जिससे उसकी शान और शोहरत बढ़ सके।
इस पर मैं कहना चाहूंगा की आज हमारी मीडिया की हालत "एक बंद पिंजरे के तोते" समान हो गई है। कि जब पिंजरे का गेट खुलेगा तब उसे दाना - पानी मिलेगा।
कुल मिलाकर आज हम स्वयं स्वार्थी हो गए है यदि हमारे पड़ोसी के किसी भी तरह का खुशी या गम का माहोल होता है तो हम उसमे शरीक होना कम पसंद करने लगे है। इसके अतिरिक्त सार्वजानिक क्षेत्र में किसी भी तरह का फायदा या नुकसान होने पर हमे कोई फर्क नहीं पडता है।जबकि हमारा दायित्व बनता है कि सार्वजनिक क्षेत्र की सभी समस्याओं की जिम्मेदारी व्यक्ति को "व्यक्तित्व सामाजिक दायित्व " समझ समाधान करनी होगी।
आज बात करे सरकार की तो :- यदि हमारे देश का युवा इसी तरह भ्रमित होता रहा तो वह दिन दूर नहीं होगा जब सरकारे विदेशों की ओर पलायन करने लगेगी साथ ही हमारे देश को खोखली अवस्था में छोड़ जाएगी।
अतः टीम वन्दे मातरम् अगर सत्ता में आती है तो नशाखोरी के धंधो पर लगाम , भ्रष्ट्राचार पर कड़े कानुन ,देश में अंदरूनी सुरक्षा , उज्जवल शिक्षा, रोजगार के अवसर ,सफल स्वस्थ सुविधाएं आदि विषयों पर जनता के सहयोग के साथ कार्य करेगी। निम्न कार्यो की कमी के चलते आज हमारा देश ओर खोखला होता चला जा रहा हैं जिसकी भनक हमे नहीं लग पा रही हैं।
मेरे देश के युवाओं , बुजुर्गों , ,महिलाओं आदि से यही अपील है कि सभी लोग अपना कार्यदायित्व पुरे तन -मन के साथ करते है तो आपको कभी किसी सरकार /नेता /अफसर के आगे झुकने की जरुरत नहीं होगी।
इसलिये उठो,
जागो ,समझो
"संगठित रहोगे ,सुरक्षित रहोगे "
सत्यमेव जयते
वन्दे मातरम !
मेरे प्रिय भारतीय भाइयो और बहनों,
वन्देमातरम
मैं मेरी बात कवि के द्वारा कही इन पंक्तियों से शुरू करूँगा:
बाद मुद्दत के मिले हैं दिवाने, कहने सुनने को बहुत हैं अफसाने.
खुली हवा में जरा सांस तो ले लें, कब तक रहेगी आजादी कौन जाने.
बरसों पहले एक विदेशी आक्रंता लुटेरों के साथ सोमनाथ को लूटने आया, मंदिर में मौजूद लोगो ने मुकाबला करने के बजाय हाथ उठाकर मदद मांगना शुरू कर दिया और विदेशी आक्रांता सोमनाथ की सम्पदा को लूट के चला गया। ऐसा इसलिये हुआ क्योंकि हमारी सामाजिक व्यवस्था ने समाज के एक बड़े तबके को लड़ने से वंचित कर रखा था और साथ ही समाज के एक बड़े तबके को विश्वासहीन भी बना दिया था।
टीम वन्दे मातरम् का उद्देशय समाज में व्याप्त सभी कुंठित विचारों को खत्म कर युवा ऊर्जा का संचार करना है। भारत एक शक्तिशाली युवा ऊर्जा वाला देश है , इस देश के हर एक युवा का ये कर्तव्य है कि जब भी उनका राजा (सरकार) सत्ता के नशे में विकास कार्यो को भूल कर स्वयं का भरण पोषण करने में लग जाये तो वो एकजुट होकर उस शासन को उखाड़ फेकें, और एक योग्य व्यक्ति को सत्ता पर आसीन करें।
देश के युवाओं से मेरा निवेदन है कि अपनी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में प्रवाहित करे एवं नव भारत के निर्माण में भागीदार बनें
जय भारत
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